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लेखनी कहानी -25-May-2022 जाने क्या बात है

जाने क्या बात है कि नींद नहीं आती 
एक तेरी याद है जो कभी नहीं जाती 
ख्वाबों में सजती हैं बस तेरी महफिलें 
एक तू है जो कभी मिलने नहीं आती 

अश्कों ने भी अब  साथ छोड़ दिया है 
मुस्कुराहटों ने जैसे नाता तोड़ लिया है 
बेचैनियों से हमने रिश्ता जोड़ लिया है
पत्थर दिल जहां से सिर फोड़ लिया है 

मोगरे में अब तेरी वो महक नहीं बसती 
चांदनी में हुस्न की चांदी नहीं चमकती 
तेरे संग गुजरी शाम सिंदूरी नहीं सजती 
तनहाइयों में ही अपनी हर रात गुजरती 

कितनी बातें हैं जो तुझसे कह नहीं पाया 
दिल तेरी जुदाई का बोझ सह नहीं पाया 
वक्त  के दरिया  में "हरि" बह  नहीं पाया 
तेरे  बिना अकेले सनम  मैं रह नहीं पाया 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
25.5.22 


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1 Comments

Abhinav ji

28-May-2022 08:40 AM

Nice👍

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